परिचय

यह ब्लॉग प्राचीन एवं मध्यकालीन भारत के वैज्ञानिक चिन्तन पर केन्द्रित है। इसमें विविध स्रोतों से एकत्र करके लेख प्रकाशित किये जायेंगे ताकि भारत की प्राचीन वैज्ञानिक संस्कृति की स्पष्ट झलक मिल सके।


लेखक परिचय
इस चिट्ठे के अधिकांश लेख श्री सुरेश जी सोनी द्वारा लिखे हैं जो हिन्दी साप्ताहिक पांचजन्य में छपे थे ।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री सुरेश सोनी ने विज्ञान एवं दर्शन सम्मत विषयों का गहन अध्ययन किया है। देशभर में प्रवास के दौरान वे इन विषयों पर व्याख्यान देते हैं और श्रोताओं पर उसका गहरा प्रभाव होता है। यद्यपि श्री सोनी राजनीति शास्त्र के छात्र रहे हैं तथापि विज्ञान उनकी रुचि एवं लेखन का प्रिय क्षेत्र है। एक लेखक के रूप में उनकी ‘भारत-अतीत वर्तमान और भविष्य‘ तथा ‘हमारी सांस्कृतिक विचारधारा के मूल स्रोत‘ पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। ‘हमारी सांस्कृतिक विचारधारा के मूल स्रोत‘ पुस्तक के महत्वपूर्ण अंशों का प्रकाशन पहले भी पाञ्चजन्य में किया गया है। श्री सोनी की एक अन्य महत्वपूर्ण कृति है ‘भारत में विज्ञान की उज्ज्वल परम्परा‘। आधुनिक, विशेषकर पश्चिमी वैज्ञानिक पश्चिमी देशों को ही विज्ञान का जनक कहते और मानते आ रहे हैं। दुर्भाग्य से अपने ही देश के बौद्धिक संस्थान और प्रचार माध्यम भी इस दुष्प्रचार का हिस्सा बन गए और भारतीय इतिहास को ग्लानि एवं आत्मनिंदा की दृष्टि से देखने लगे। भारतीय वैज्ञानिक परम्परा, वैज्ञानिक दृष्टि और विज्ञान के क्षेत्र में भारतीय ज्ञान को हमेशा नकारने की कोशिश की जाती रही है। श्री सोनी की यह पुस्तक इस नकारात्मक भाव से मुक्त करती है और विज्ञान के क्षेत्र में भारतीय ज्ञान के स्वाभिमान को स्थापित करती है। श्री सोनी ने विद्युत शास्त्र, धातु विज्ञान, विमान शास्त्र, वस्त्र उद्योग, गणित शास्त्र, कालगणना, खगोल विज्ञान, स्थापत्य शास्त्र, रसायन विज्ञान, वनस्पति विज्ञान एवं प्राणि विज्ञान आदि-आदि में भारतीय ज्ञान की उज्ज्वल परम्परा को सहज व सरल भाषा में बड़ी सिद्धता से स्थापित किया है।

हाल ही में इस पुस्तक का तीसरा संस्करण अर्चना प्रकाशन (१७, दीनदयाल परिसर, ई/२, महावीर नगर, भोपाल ४६२०२६) ने प्रकाशित किया है। २०५ पृष्ठों की इस पुस्तक का मूल्य है मात्र ६५ रुपए।